आस्टियोआर्थराइटिस के लिए आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में ऑस्टियोआर्थराइटिस को संधिवात के रूप
में जाना जाता है, जो कि जोडों का विकार है।
इसका मतलब है, कि हमारे शरीर के निचले हिस्से
की हड्डियों को सपोर्ट देने वाले सुरक्षात्मक
कार्टिलेज और कोमल ऊतकों का किसी कारणवश
टूटना शुरू होना हैं। इस हालत में किसी भी गतिविधि के बाद या आराम
की लंबी अवधि के बाद जोड़ों का लचिलापन कम
हो जाता है और वो सख्त हो जाते हैं, और दर्द दायक बनते
हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए एलोपैथिक उपचार
के अलावा, कुछ आयुर्वेदिक इलाज भी उपलब्ध हैं। जैसा कि आप जानते हैं, आयुर्वेद कहता हैं की शरीर में तीन
जीव-ऊर्जा या दोष होते हैं, जो हमारे शरीर के विभिन्न
कार्यों को नियंत्रित करते हैं। वात, कफ और पित्त
यह उनके नाम हैं । जब एक व्यक्ति किसी भी प्रकार
की बीमारी से ग्रस्त होता है,तब यह इन दोषों में असंतुलन
की वजह से होता हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस वात दोष में एक असंतुलन के कारण होता है और इसलिए
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए आयुर्वेदिक इलाज में
इस दोष को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित
किया जाता है, जिससे व्यक्ति को दर्द से राहत
मिलने में आसानी होती हैं। आयुर्वेदिक दवाओं में यह जड़ी बूटी हैं –
• गुग्गुल - ऊतकों को मजबूत बनाने के लिए
• त्रिफला – विषैले तत्वो को शरीर से साफ करना
• अश्वगंधा - शरीर और मन को आराम और तंत्रिका तंत्र
को उत्तेजना देना
• कॅस्टर(एरंडी) तेल – दर्द होनेवाले क्षेत्र में लगाने के
साथ, ही इसका सेवन भी लिया जा सकता है क्योंकि यह एक प्रभावी औषधि है
• बाला - शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ाने के लिए,
दर्द को कम करने के लिए, नसों को ठीक करने के साथ
ही शरीर में ऊतकों के विकास को प्रोत्साहित करने के
लिए
• शालाकी - अपने सूजन विरोधी गुणों के लिए और शरीर की हड्डियों के करीब के ऊतकों की मरम्मत करने
में सक्षम होने के गुण के लिए उपयोगी हैं
बाजार में विभिन्न आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध हैं,
जो ऑस्टियोआर्थराइटिस से राहत और ठीक करने में
मददगार साबित होती हैं। हालांकि, चिकित्सक और
एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक होता हैं, क्योंकि वो आपकी बीमारी के
अनुसार सही दवा देने में सक्षम होते हैं। दवाओं के अलावा आयुर्वेद में ऑस्टियोआर्थराइटिस के
इलाज के लिए अन्य उपचार भी हैं। यह सब उपचार कई
आयुर्वेदिक मालिश चिकित्सा केन्द्रों में उपलब्ध
होते हैं। इन उपचारों में से कुछ हैं –
• अभ्यांग – यह एक हर्बल तेल मालिश है,
जो ऊतकों को मजबूत बनाने और रक्त परिसंचरण में सुधार ला सकती हैं
• स्वेदा – एक औषधीय भाप स्नान शरीर दर्द को कम
करने और शरीर के विषैले तत्वों को कम करने के लिए
उपयोग किया जाता हैं
• नजावाराकिझी - एक कायाकल्प करने वाली मालिश हैं
जो ऊतकों को मजबूत बनाने में भी मदद करती हैं उपरोक्त उपचारों के अलावा, कुछ अन्य बातें भी हैं
जिनको ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए आयुर्वेदिक
उपचार करते वक्त ध्यान में रखा जाना चाहिए।
• हर रोज 30 से 40 मिनट चलना
• खुद को बहुत थकाये नहीं
• नियमित भोजन में घी और तेल को मध्यम मात्रा में शामिल करे, क्योंकि वह ऊतकों और जोड़ों चिकनापन
और लचिलापन बनाए रखने में मदद करते हैं।
• डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से बचें, हर रोज
ताजा खाना बनाए और जब खाना गरम हो तभी खाना खाने
की कोशिश करे।
• हर कीमत पर साफ्टड्रिंक और कार्बोनेटड पेय से बचें क्योंकि वे शरीर के कार्य़ को नुकसान पहुंचाते हैं।
• मसालेदार, तीखा और अत्य धिक तेलयुक्त भोजन से
बचें।
आयुर्वेद में ऑस्टियोआर्थराइटिस को संधिवात के रूप
में जाना जाता है, जो कि जोडों का विकार है।
इसका मतलब है, कि हमारे शरीर के निचले हिस्से
की हड्डियों को सपोर्ट देने वाले सुरक्षात्मक
कार्टिलेज और कोमल ऊतकों का किसी कारणवश
टूटना शुरू होना हैं। इस हालत में किसी भी गतिविधि के बाद या आराम
की लंबी अवधि के बाद जोड़ों का लचिलापन कम
हो जाता है और वो सख्त हो जाते हैं, और दर्द दायक बनते
हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए एलोपैथिक उपचार
के अलावा, कुछ आयुर्वेदिक इलाज भी उपलब्ध हैं। जैसा कि आप जानते हैं, आयुर्वेद कहता हैं की शरीर में तीन
जीव-ऊर्जा या दोष होते हैं, जो हमारे शरीर के विभिन्न
कार्यों को नियंत्रित करते हैं। वात, कफ और पित्त
यह उनके नाम हैं । जब एक व्यक्ति किसी भी प्रकार
की बीमारी से ग्रस्त होता है,तब यह इन दोषों में असंतुलन
की वजह से होता हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस वात दोष में एक असंतुलन के कारण होता है और इसलिए
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए आयुर्वेदिक इलाज में
इस दोष को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित
किया जाता है, जिससे व्यक्ति को दर्द से राहत
मिलने में आसानी होती हैं। आयुर्वेदिक दवाओं में यह जड़ी बूटी हैं –
• गुग्गुल - ऊतकों को मजबूत बनाने के लिए
• त्रिफला – विषैले तत्वो को शरीर से साफ करना
• अश्वगंधा - शरीर और मन को आराम और तंत्रिका तंत्र
को उत्तेजना देना
• कॅस्टर(एरंडी) तेल – दर्द होनेवाले क्षेत्र में लगाने के
साथ, ही इसका सेवन भी लिया जा सकता है क्योंकि यह एक प्रभावी औषधि है
• बाला - शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ाने के लिए,
दर्द को कम करने के लिए, नसों को ठीक करने के साथ
ही शरीर में ऊतकों के विकास को प्रोत्साहित करने के
लिए
• शालाकी - अपने सूजन विरोधी गुणों के लिए और शरीर की हड्डियों के करीब के ऊतकों की मरम्मत करने
में सक्षम होने के गुण के लिए उपयोगी हैं
बाजार में विभिन्न आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध हैं,
जो ऑस्टियोआर्थराइटिस से राहत और ठीक करने में
मददगार साबित होती हैं। हालांकि, चिकित्सक और
एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक होता हैं, क्योंकि वो आपकी बीमारी के
अनुसार सही दवा देने में सक्षम होते हैं। दवाओं के अलावा आयुर्वेद में ऑस्टियोआर्थराइटिस के
इलाज के लिए अन्य उपचार भी हैं। यह सब उपचार कई
आयुर्वेदिक मालिश चिकित्सा केन्द्रों में उपलब्ध
होते हैं। इन उपचारों में से कुछ हैं –
• अभ्यांग – यह एक हर्बल तेल मालिश है,
जो ऊतकों को मजबूत बनाने और रक्त परिसंचरण में सुधार ला सकती हैं
• स्वेदा – एक औषधीय भाप स्नान शरीर दर्द को कम
करने और शरीर के विषैले तत्वों को कम करने के लिए
उपयोग किया जाता हैं
• नजावाराकिझी - एक कायाकल्प करने वाली मालिश हैं
जो ऊतकों को मजबूत बनाने में भी मदद करती हैं उपरोक्त उपचारों के अलावा, कुछ अन्य बातें भी हैं
जिनको ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए आयुर्वेदिक
उपचार करते वक्त ध्यान में रखा जाना चाहिए।
• हर रोज 30 से 40 मिनट चलना
• खुद को बहुत थकाये नहीं
• नियमित भोजन में घी और तेल को मध्यम मात्रा में शामिल करे, क्योंकि वह ऊतकों और जोड़ों चिकनापन
और लचिलापन बनाए रखने में मदद करते हैं।
• डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से बचें, हर रोज
ताजा खाना बनाए और जब खाना गरम हो तभी खाना खाने
की कोशिश करे।
• हर कीमत पर साफ्टड्रिंक और कार्बोनेटड पेय से बचें क्योंकि वे शरीर के कार्य़ को नुकसान पहुंचाते हैं।
• मसालेदार, तीखा और अत्य धिक तेलयुक्त भोजन से
बचें।
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