Saturday, September 26, 2020

Mukul Kanitkar thanks PM Modi for mentioning Suryanamaskar in Parliament...



श्री मुकुल भैया के द्वारा मा.प्रधान मंत्री जी के साथ संवाद का वीडियो प्रधानमंत्री जी के official channel पर

इस वीडियो में आदरणीय मुकुल भैया द्वारा मोदीजी के माध्यम से पूरे राष्ट्र को दिए संदेश को सुनकर स्वयं को गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं कि मुझे बचपन से सदैव आपका सानिध्य और मार्गदर्शन मिलता रहा है ।



आप द्वारा फिटनेस के अर्थ और महत्व को लेकर दिया गया चिंतन/स्पष्टीकरण अत्यंत महत्वपूर्ण और अनुकरणीय है।



मात्र 7 मिनट के वक्तव्य में आपने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्र कार्य में लगे हुवे कार्यकर्ताओं के लिए फिट रहना कितना आवश्यक है? क्यों हमें राष्ट्र कार्य करना है? विश्वगुरु का आशय क्या है? क्यों इस राष्ट्र को विश्वगुरु होना है? इन सबके स्पष्टीकरण के लिए गीता स्वाध्याय कितना महत्वपूर्ण है ?

"खुद को फिट रखना केवल एक व्यक्तिगत अपेक्षा नहीं अपितु समाज के प्रति हमारा परम कर्तव्य है।"



Wednesday, August 12, 2020

लोग रंग बदलते हैं मुरली वाला वक्त बदलता है

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्‌।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥


 भक्तों का उद्धार करने,दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूँ!


लोग रंग बदलते हैं मुरली वाला वक्त बदलता है


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महापर्व, की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई

#जयश्रीकृष्ण🙏 🌺🚩


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Tuesday, August 11, 2020

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनाएं

सांवरिया की तरफ से सभी कृष्ण भक्तो और देशवासियों को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

नन्द के आनन्द भयो जय यशोदा लाल की......

मेरे लिए मेरे नायक, नेता, मार्गदर्शक, ईश्वर
सबकुछ श्री कृष्ण है।
मैं उनके लिए क्या सोचता हूं। दो शब्द......

कृष्ण एक बहुत नटखट बच्चे हैं। वे एक बांसुरी वादक हैं और बहुत अच्छा नाचते भी हैं। वे अपने दुश्मनों के लिए भयंकर योद्धा हैं। कृष्ण एक ऐसे अवतार हैं जिनसे प्रेम करने वाले हर घर में मौजूद हैं। वे एक चतुर राजनेता और महायोगी भी हैं। वो एक सज्जन पुरुष हैं, और ऐसे अवतार हैं जो जीवन के हर रंग को अपने भीतर समाए हुए हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आपको औऱ आपके परिवार को 
मेरे और मेरे परिवार की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं..........🙏🙏🙏🙏🙏
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Saturday, August 8, 2020

मौसम पत्तियों को जाने किन किन पत्तियों का उपयोग किस हेतु उत्तम है

मौसम पत्तियों को जाने किन किन पत्तियों का उपयोग किस हेतु उत्तम है।

सृष्टि में यदि खाद्य पदार्थों की बात करें तो ईश्वर ने सर्वप्रथम पत्तियों का सृजन किया मानो ईश्वर मनुष्य को संकेत दे रहा हो कि मैंने तुम्हारे भोजन की पहली खुराक तुम्हें दे दी है।

वास्तविकता है कि हमारे भोजन में यदि पहली खुराक पत्तियों की हो सके तो स्वास्थ्य की ओर उठने वाला यह पहला कदम साबित हो सकता है।

विचारणीय है कि हमारे सभी देवताओं का पुजन भी पत्तियों से किया जाता है । क्यों ? क्योंकि यही उचित है। देवताओं में प्रथम पूज्य गणपति जी महाराज का पूजन दूर्वा से किया जाता है,दूर्वा के बिना गणेश जी मोदक का भोग स्वीकार नहीं करते।

इसी प्रकार विष्णु भगवान का भोग तुलसी पत्र तथा शिव जी का भोग बेल पत्र के बिना सम्भव नहीं है । ऐसा इसीलिए विधान बनाया गया जिससे मनुष्य भी इससे सीख ले और अपने भोजन में पत्तियों को प्रथम स्थान दे।

पत्तियों में क्लोरोफिल नामक तत्व पाया जाता है जो शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करता है।

यदि आपके शरीर में यह तत्व रहेगा तो कोई भी संक्रामक रोग आप पर आसानी से आक्रमण नहीं कर सकेगा।

बात चाहे क्लोरोफिल की हो आयोडिन की अथवा अन्य खनिज लवणों की,ये सारे तत्व आग पर चढ़ने से नष्ट हो जाते हैं, अतः उत्तम है कि इसका उपयोग आग पर चढ़ाए बिना ही करना चाहिए।

व्यवहार में पहली खुराक के रूप में आसानी से उपलब्ध कुछ हरी पत्तियां जैसे - धनिया, पोदीना , पालक , मूली के पत्ते , कढ़ी पत्ता , बेल पत्र , तुलसी , दूर्वा आदि को धोकर , पानी मिलाकर सिलबट्टे या मिक्सी में पीसकर छान लें । इसी के साथ कुछ हरा आंवला , खीरा , लौकी आदि भी डाल लें। स्वाद के लिए मौसम के अनुसार कोई मीठा फल जैसे सेब या गाजर या टमाटर न उपलब्ध हो तो गुड़ या शहद या मिश्री आदि भी मिला स्वादिष्ट जूस सर्वोत्तम है । यह शोधक भी है और अनेक आवश्यक तत्वों की पूर्ति करता है।

मौसम  होने के पर सस्ता भी होता हैं। दोपहर के अल्पाहार के साथ भी उपरोक्त वर्णित 3 - 4 तरह की पत्तियों को मिलाकर स्वादिष्ट चटनी का सेवन अति लाभकारी है।

जाड़ों सर्दी के मौसम में विशेष रूप से मूली,पालक , धनिया, मेथी, बथुआ आदि को पीसकर आटे के साथ मिलने का रिवाज भी इसीलिए बनाया गया है ताकि पत्तियों का पूरा लाभ मिल सके।

डाक्टर शरीर में कैल्शियम की पूर्ति हेतु दूध का सेवन करने की सलाह देते हैं। यह सत्य है कि दूध में कैल्शियम तो है किंतु दूध में यूरिक एसिड तथा कोलेस्ट्रॉल शरीर को रोगी बनाते हैं। दूध की शुद्धता भी आज के युग में पूर्ण रूप से संदिग्ध ही  है। जिस जानवर का दूध हम पीते हैं उसकी शारीरिक रुग्णता का प्रभाव भी उसके दूध के माध्यम से हमारे शरीर पर पड़ता है। यदि शरीर में कैल्शियम की कमी है तो हम आपको बताना चाहेंगे कि वैज्ञानिक शोधों में आश्चर्यजनक सत्य उजागर हुए हैं । जहां एक ओर मां के दूध में 28 कैल्शियम , गाय के दूध में 120 , भैंस के दूध में 210कैल्शियम पाया जाता है , वहीं शलजम की पत्ती में 710 , इमली की पत्ती 1485 तथा सरसों के पत्तों में 3095 कैल्शियम पाया जाता है । यदि हम कुछ पत्तियों का सेवन करने लगे तो कैल्शियम की पूर्ति भी हो जाएगी और यूरिक एसिड व कोलेस्ट्राल के दुष्प्रभावों से हम बच जाएंगे।

पत्तियों में शोधन का गुण होने के कारण यह अंदर संचित मल को साफ करने में मददगार हैं। पत्तियों के इसी गुण के कारण इनका सेवन करने से शरीर में मल का संचय रुक जाता है। शरीर के अंदर मल की सड़न के कारण बनने वाली गैस तथा एसिड्स से मुक्ति मिलने लगती है।

इसी कारण पत्तियों का सेवन करने वाले सभी जानवरों के मल में भी बदबू नहीं होती जैरो पत्तियों का सेवन करने वाला हाथी , बकरी , गाय , भैस , घोड़ा आदि। इन पशुओं से किसी प्रकार का संक्रामक रोग भी नहीं फैलता जबकि प्लेग जो चूहों से फैलता है, बर्ड फ्लू जो मुर्गियों से फैलता है तथा स्वाइन फ्लू जो सुअर से फैलता है, ये सभी जानवर पत्तियों का सेवन नहीं करते हैं । बिल्लियां और कुत्ते मांसाहारी होते हैं तथा दूध के शौकीन होते हैं । इनका मल अत्यंत दुर्गंधयुक्त तथा चिपकने वाला होता है । आश्चर्य की बात है सर्वश्रेष्ठ कहलाने का अधिकारी मनुष्य का मल सबसे अधिक दुर्गंध युक्त होता है क्योंकि यह अनाज , पक्वाहार , मांसाहार तथा दूध का सबसे अधिक शौकीन होता है।

यदि शरीर को रोगमुक्त बनाना है तथा साधना में प्रगति करनी है तो भोजन को भी सूक्ष्म बनाना अति आवश्यक है। भोजन के चार तत्व हैं वायु तत्व ( पत्तिया ) अग्नि तत्व ( फल ) जल तत्व ( सब्जियां ) पृथ्वी तत्व ( अनाज ) । इनमें सबसे सूक्ष्म वायु तत्व ही है जो पत्तेदार शाक भाजी में पाया जाता है। ये पत्तियां क्षारीय प्रकृति की होने के कारण रक्त में अम्लता को कम करती है।

कुछ पत्तियां जैसे – चाय, तम्बाकू आदि की पत्ती भयंकर अम्लीय होती हैं। जानवर भी इन पत्तियों को खाना पसंद नहीं करते इसी कारण जहां इन पत्तियों की खेती होती है वहां जानवरों से सुरक्षा हेतु कोई बाड़ा नहीं बनाना पड़ता।

अतः इन पशुओं से सीख लें और इन पत्तियों का त्याग कर देने में ही भलाई है। सामान्य रूप से सभी शाक भाजी की पत्तियां शरीर के लिए उत्तम है फिर भी किसी रोग विशेष की अवस्था में अनेक प्रकार की अलग - अलग पत्तियों का अपना विशेष महत्व है।

दूर्वा ( दूब घास ) की पत्ती आंतरिक अथवा वाह्य रक्तस्राव को रोकने व उदर रोगों में विशेष सहायक

तुलसी - सभी प्रकार के संक्रमण व दर्द में उपयोगी कढ़ी पत्ता - हाई बी.पी, रक्ताल्पता में प्रभावी।

पत्तागोभी - मूत्रल एवं किडनी रोग में विशेष उपयोगी , अल्सर ,नपुसंकता ,एलर्जी ,दुर्बलता में लाभकारी।

धनिया पत्ती - नेत्र रोग वाले विटामिन बी का अभाव व रक्ताल्पता में उपयोगी।

नीम की पत्ती - अस्थमा ,मधुमेह ,चर्मरोग ,खून की अशुद्धता में उपयोगी एवं प्रभावशाली एंटिबायटिक।

पपीते का पत्ता – रक्त में प्लेटलेट्स बढ़ाने में विशेष।

शरीफा ( सीताफल ) का पत्ता - मगुमेह में विशेष उपयोगी।

बेलपत्र - संक्रमण,टी.बी,कब्ज,बी.पी,बुखार,हृदय रोग व अस्थमा में लाभकारी।

आम के पत्ते - कब्ज , एसिडिटी में लाभकारी।

ज्वारे की पत्ती - कैंसर ,रक्तस्राव ,रक्ताल्पता ,रक्त शोधन कोलाइटिस में सहायक।

पीपल के पत्ते - पाइल्स ,फिशर ,फिश्च्युला ,स्त्री रोग मासिक धर्म में बहु उपयोगी।

जामुन के पत्ते - चर्म रोग ,थेलिसिमिया ,आयरन ,विटामिन सी ,कैल्शियम में आवश्यक।

अमलतास के पत्ते - पीलिया ,लीवर रोग ,एक्जीमा ,पेट कृमि ,सोराइसिस ,अपच व कब्ज में लाभकारी।

नींबू पत्ते - अतिरिक्त गर्मी ,रोग प्रति रोधकता बढ़ाने , कफ रोकने ,सिर दर्द ,गठिया ,रुसी में सहायक।

अमरूद के पत्ते - खांसी ,दंत रोग ,कफ में लाभकारी।

मूली के पत्ते - लीवर के रोगों में लाभकारी।

पालक - रक्ताल्पता को दूर कर खून बढ़ाने वाला आयरन का भंडारा।

एलोविरा - गुर्दे के रोगों को दूर कर नव यौवन देने वाला।

लहसुन - जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है।

अदरक - जो रक्त को पतला बनाता है और हार्ट की पम्पिंग को बढ़ाता है।

नींबू - जो रक्त वाहिकाओं को कोमल और मुलायम बनाए रखता है।

एप्पल साइडर विनेगर - जो  रक्त से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड, टॉक्सिन, और फैट को कम करता है।
शहद - जो हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर के खतरों को कम करता है ।

क्लियर हार्ट लिक्विड प्राकृतिक तत्वों से बनाया जाता है जैसे लहसुन, अदरक, नींबू, ऐपल साइडर विनेगर और शहद ।

अर्जुन छाल -  हृदय की धमनियों मजबूत रखता है और हृदय की धड़कन नियंत्रित रखता है ।

दालचीनी - हृदय की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल को जमने से रोकती है और ब्लड में शुगर  को कम करती है।

कुटकी - शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालकर लीवर, किडनी को हेल्दी रखते हैं।

पीप्पली - मोटापा, कोलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय रोगों में लाभकारी है।

अश्वगंधा - बीपी और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है।

मेथी - एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम करने और ब्लड के फ़्लो को नियमित करता है।
 
धन्यवाद

Thursday, August 6, 2020

मौत को छोड कर हर मर्ज की दवाई है कलौंजी

 

 कलौंजी : बड़ी से बड़ी बीमारी का एक इलाज

“मौत को छोड कर हर मर्ज की दवाई है कलौंजी…..! “

कलयुग में धरती पर संजीवनी है कलौंजी, अनगिनत रोगों को चुटकियों में ठीक करता है।

कैसे करें इसका सेवन

कलौंजी के बीजों का सीधा सेवन किया जा सकता है।
एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिश्रित करके इसका सेवन करें।
पानी में कलौंजी उबालकर छान लें और इसे पीएं।
दूध में कलौंजी उबालें। ठंडा होने दें फिर इस मिश्रण को पीएं।
कलौंजी को ग्राइंड करें तथा पानी तथा दूध के साथ इसका सेवन करें।
कलौंजी को ब्रैड, पनीर तथा पेस्ट्रियों पर छिड़क कर इसका सेवन करें।

ये किन -किन रोगों में सहायक है :-

टाइप-2 डायबिटीज
प्रतिदिन 2 ग्राम कलौंजी के सेवन के परिणामस्वरूप तेज हो रहा ग्लूकोज कम होता है। इंसुलिन रैजिस्टैंस घटती है,बीटा सैल की कार्यप्रणाली में वृद्धि होती है तथा ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन में कमी आती है।

मिर्गी
2007 में हुए एक अध्ययन के अनुसार मिर्गी से पीड़ित बच्चों में कलौंजी के सत्व का सेवन दौरे को कम करता है।

उच्च रक्तचाप
100 या 200 मिलीग्राम कलौंजी के सत्व के दिन में दो बार सेवन से हाइपरटैंशन के मरीजों में ब्लड प्रैशर कम होता है।

दमा :

कलौंजी को पानी में उबालकर इसका सत्व पीने से अस्थमा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

रक्तचाप (ब्लडप्रेशर)
रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) में एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से रक्तचाप सामान्य बना रहता है। तथा 28 मिलीलीटर जैतुन का तेल और एक चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर पूर शरीर पर मालिश आधे घंटे तक धूप में रहने से रक्तचाप में लाभ मिलता है। यह क्रिया हर तीसरे दिन एक महीने तक करना चाहिए।

गंजापन
जली हुई कलौंजी को हेयर ऑइल में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर मालिश करने से गंजापन दूर होकर बाल उग आते हैं।

त्वचा के विकार
कलौंजी के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा के विकार नष्ट होते हैं।

लकवा
कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।

कान की सूजन, बहरापन
कलौंजी का तेल कान में डालने से कान की सूजन दूर होती है। इससे बहरापन में भी लाभ होता है।

सर्दी-जुकाम
कलौंजी के बीजों को सेंककर और कपड़े में लपेटकर सूंघने से और कलौंजी का तेल और जैतून का तेल बराबर की मात्रा में नाक में टपकाने से सर्दी-जुकाम समाप्त होता है। आधा कप पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल व चौथाई चम्मच जैतून का तेल मिलाकर इतना उबालें कि पानी खत्म हो जाएं और केवल तेल ही रह जाएं। इसके बाद इसे छानकर 2 बूंद नाक में डालें। इससे सर्दी-जुकाम ठीक होता है। यह पुराने जुकाम भी लाभकारी होता है।

पेट के कीडे़
10 ग्राम कलौंजी को पीसकर 3 चम्मच शहद के साथ रात सोते समय कुछ दिन तक नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।

प्रसव की पीड़ा
कलौंजी का काढ़ा बनाकर सेवन करने से प्रसव की पीड़ा दूर होती है।

पोलियों का रोग
आधे कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद व आधे चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लें। इससे पोलियों का रोग ठीक होता है।

मुंहासे
सिरके में कलौंजी को पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर लगाएं और सुबह पानी से चेहरे को साफ करने से मुंहासे कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।

स्फूर्ति
स्फूर्ति (रीवायटल) के लिए नांरगी के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सेवन करने से आलस्य और थकान दूर होती है।

गठिया
कलौंजी को रीठा के पत्तों के साथ काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग समाप्त होता है।

जोड़ों का दर्द
एक चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय पीने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।

आंखों के सभी रोग
आंखों की लाली, मोतियाबिन्द, आंखों से पानी का आना, आंखों की रोशनी कम होना आदि। इस तरह के आंखों के रोगों में एक कप गाजर का रस, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2बार सेवन करें। इससे आंखों के सभी रोग ठीक होते हैं। आंखों के चारों और तथा पलकों पर कलौंजी का तेल रात को सोते समय लगाएं। इससे आंखों के रोग समाप्त होते हैं। रोगी को अचार, बैंगन, अंडा व मछली नहीं खाना चाहिए।

स्नायुविक व मानसिक तनाव
एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल डालकर रात को सोते समय पीने से स्नायुविक व मानसिक तनाव दूर होता है।

गांठ
कलौंजी के तेल को गांठो पर लगाने और एक चम्मच कलौंजी का तेल गर्म दूध में डालकर पीने से गांठ नष्ट होती है।

मलेरिया का बुखार
पिसी हुई कलौंजी आधा चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है।

स्वप्नदोष
यदि रात को नींद में वीर्य अपने आप निकल जाता हो तो एक कप सेब के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे स्वप्नदोष दूर होता है। प्रतिदिन कलौंजी के तेल की चार बूंद एक चम्मच नारियल तेल में मिलाकर सोते समय सिर में लगाने स्वप्न दोष का रोग ठीक होता है। उपचार करते समय नींबू का सेवन न करें।

कब्ज
चीनी 5 ग्राम, सोनामुखी 4 ग्राम, 1 गिलास हल्का गर्म दूध और आधा चम्मच कलौंजी का तेल। इन सभी को एक साथ मिलाकर रात को सोते समय पीने से कब्ज नष्ट होती है।

खून की कमी
एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबाल लें और इस पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय सेवन करें। इससे 21 दिनों में खून की कमी दूर होती है। रोगी को खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

पेट दर्द
किसी भी कारण से पेट दर्द हो एक गिलास नींबू पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीएं। उपचार करते समय रोगी को बेसन की चीजे नहीं खानी चाहिए। या चुटकी भर नमक और आधे चम्मच कलौंजी के तेल को आधा गिलास हल्का गर्म पानी मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है। या फिर 1 गिलास मौसमी के रस में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।

सिर दर्द
कलौंजी के तेल को ललाट से कानों तक अच्छी तरह मलनें और आधा चम्मच कलौंजी के तेल को 1 चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है। कलौंजी खाने के साथ सिर पर कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर मालिश करें। इससे सिर दर्द में आराम मिलता है और सिर से सम्बंधित अन्य रोगों भी दूर होते हैं।
कलौंजी के बीजों को गर्म करके पीस लें और कपड़े में बांधकर सूंघें। इससे सिर का दर्द दूर होता है। कलौंजी और काला जीरा बराबर मात्रा में लेकर पानी में पीस लें और माथे पर लेप करें। इससे सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर होता है।

उल्टी
आधा चम्मच कलौंजी का तेल और आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से उल्टी बंद होती है।

हार्निया
3 चम्मच करेले का रस और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय पीने से हार्निया रोग ठीक होता है।

मिर्गी के दौरें
एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से मिर्गी के दौरें ठीक होते हैं। मिर्गी के रोगी को ठंडी चीजे जैसे- अमरूद, केला, सीताफल आदि नहीं देना चाहिए।

पीलिया
एक कप दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार सुबह खाली पेट और रात को सोते समय 1 सप्ताह तक लेने से पीलिया रोग समाप्त होता है। पीलिया से पीड़ित रोगी को खाने में मसालेदार व खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

कैंसर का रोग
एक गिलास अंगूर के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कैंसर का रोग ठीक होता है। इससे आंतों का कैंसर, ब्लड कैंसर व गले का कैंसर आदि में भी लाभ मिलता है। इस रोग में रोगी को औषधि देने के साथ ही एक किलो जौ के आटे में 2 किलो गेहूं का आटा मिलाकर इसकी रोटी, दलिया बनाकर रोगी को देना चाहिए। इस रोग में आलू, अरबी और बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। कैंसर के रोगी को कलौंजी डालकर हलवा बनाकर खाना चाहिए।

दांत
कलौंजी का तेल और लौंग का तेल 1-1 बूंद मिलाकर दांत व मसूढ़ों पर लगाने से दर्द ठीक होता है। आग में सेंधानमक जलाकर बारीक पीस लें और इसमें 2-4 बूंदे कलौंजी का तेल डालकर दांत साफ करें। इससे साफ व स्वस्थ रहते हैं।
दांतों में कीड़े लगना व खोखलापन: रात को सोते समय कलौंजी के तेल में रुई को भिगोकर खोखले दांतों में रखने से कीड़े नष्ट होते हैं।

नींद
रात में सोने से पहले आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है।

मासिकधर्म
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मासिकधर्म शुरू होता है। इससे गर्भपात होने की संभावना नहीं रहती है।
जिन माताओं बहनों को मासिकधर्म कष्ट से आता है उनके लिए कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिकस्राव का कष्ट दूर होता है और बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से ऋतुस्राव की पीड़ा नष्ट होती है।
मासिकधर्म की अनियमितता में लगभग आधा से डेढ़ ग्राम की मात्रा में कलौंजी के चूर्ण का सेवन करने से मासिकधर्म नियमित समय पर आने लगता है।
यदि मासिकस्राव बंद हो गया हो और पेट में दर्द रहता हो तो एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।

गर्भवती महिलाओं
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से मासिकस्राव शुरू होता है।

गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है।

स्तनों का आकार
कलौंजी आधे से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से स्तनों का आकार बढ़ता है और स्तन सुडौल बनता है।

स्तनों में दुध
कलौंजी को आधे से 1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से स्तनों में दुध बढ़ता है।

स्त्रियों के चेहरे व हाथ-पैरों की सूजन:
कलौंजी पीसकर लेप करने से हाथ पैरों की सूजन दूर होती है।

बाल लम्बे व घने
50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें और इस पानी से बालों को धोएं। इससे बाल लम्बे व घने होते हैं।

बेरी-बेरी रोग
बेरी-बेरी रोग में कलौंजी को पीसकर हाथ-पैरों की सूजन पर लगाने से सूजन मिटती है।

भूख का अधिक लगना
50 ग्राम कलौंजी को सिरके में रात को भिगो दें और सूबह पीसकर शहद में मिलाकर 4-5 ग्राम की मात्रा सेवन करें। इससे भूख का अधिक लगना कम होता है।

नपुंसकता
कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर पीने से नपुंसकता दूर होती है।

खाज-खुजली
50 ग्राम कलौंजी के बीजों को पीस लें और इसमें 10 ग्राम बिल्व के पत्तों का रस व 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप बना लें। यह लेप खाज-खुजली में प्रतिदिन लगाने से रोग ठीक होता है।

नाड़ी का छूटना
नाड़ी का छूटना के लिए आधे से 1 ग्राम कालौंजी को पीसकर रोगी को देने से शरीर का ठंडापन दूर होता है और नाड़ी की गति भी तेज होती है। इस रोग में आधे से 1ग्राम कालौंजी हर 6 घंटे पर लें और ठीक होने पर इसका प्रयोग बंद कर दें।
कलौंजी को पीसकर लेप करने से नाड़ी की जलन व सूजन दूर होती है।

हिचकी
एक ग्राम पिसी कलौंजी शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी आनी बंद हो जाती है। तथा कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में मठ्ठे के साथ प्रतिदिन 3-4 बार सेवन से हिचकी दूर होती है। या फिर कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम मक्खन के साथ खाने से हिचकी दूर होती है। और यदि आप काले उड़द चिलम में रखकर तम्बाकू के साथ पीने से हिचकी में लाभ होता है।
3 ग्राम कलौंजी पीसकर दही के पानी में मिलाकर खाने से हिचकी ठीक होती है।

स्मरण शक्ति
लगभग 2 ग्राम की मात्रा में कलौंजी को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

छींके
कलौंजी और सूखे चने को एक साथ अच्छी तरह मसलकर किसी कपड़े में बांधकर सूंघने से छींके आनी बंद हो जाती है।

पेट की गैस
कलौंजी, जीरा और अजवाइन को बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से पेट की गैस नष्ट होता है।

पेशाब की जलन
250 मिलीलीटर दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।

दमा रोग (ASTHMA)
एक चुटकी नमक, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच घी मिलाकर छाती और गले पर मालिश करें और साथ ही आधा चम्मच कलौंजी का तेल 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे दमा रोग में आराम मिलता है।

पथरी
250 ग्राम कलौंजी पीसकर 125 ग्राम शहद में मिला लें और फिर इसमें आधा कप पानी और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार खाली पेट सेवन करें। इस तरह 21 दिन तक पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।

सूजन
यदि चोट या मोच आने के कारण शरीर के किसी भी स्थान पर सूजन आ गई हो तो उसे दूर करने के लिए कलौंजी को पानी में पीसकर लगाएं। इससे सूजन दूर होती है और दर्द ठीक होता है। कलौंजी को पीसकर हाथ पैरों पर लेप करने से हाथ-पैरों की सूजन दूर होती है।

स्नायु की पीड़ा
दही में कलौंजी को पीसकर बने लेप को पीड़ित अंग पर लगाने से स्नायु की पीड़ा समाप्त होती है।

जुकाम
20 ग्राम कलौंजी को अच्छी तरह से पकाकर किसी कपड़े में बांधकर नाक से सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और जुकाम ठीक होता है।
जैतून के तेल में कलौंजी का बारीक चूर्ण मिलाकर कपड़े में छानकर बूंद-बूंद करके नाक में डालने से बार-बार जुकाम में छींक आनी बंद हो जाती हैं और जुकाम ठीक होता है। कलौंजी को सूंघने से जुकाम में आराम मिलता है।
यदि बार-बार छींके आती हो तो कलौंजी के बीजों को पीसकर सूंघें।

बवासीर के मस्से
कलौंजी की भस्म को मस्सों पर नियमित रूप से लगाने से बवासीर का रोग समाप्त होता है।

वात रोग
वात रोग में कलौंजी के तेल से रोगग्रस्त अंगों पर मालिश करने से वात की बीमारी दूर होती है।

नोट: ध्यान रखें कि इस दवा का प्रयोग गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गर्भ नष्ट हो सकता है।


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